मैं आपको एक कथा से अवगत कराता हूँ यह वो कथा है जिससे आपको मालूम चल जाएगा की सावन के महीने में भगवान् शिव की पूजा का विशेष महत्व क्यों हैं l I inform you of a story, this is the story from which you will know that why is the special importance of worshiping Lord Shiva in the month of Savan.
महाराज दक्ष ने बहुत बड़े यज्ञ का आयोजन किया था उस यज्ञ में सभी संतो तथा मिलने वालो को बलाया गया था परन्तु भगवान् शिव को नहीं बुलाया गया इसलिए नहीं बुलाया गया क्योकि शिव का सम्बद्ध देवी सति से था और देवी सति के पति बार – बार देवी सति को यज्ञ में जाने क लिए मना कर रहे थे लेकिन मना करने के बाद भी देवी सति यज्ञ में जाने के लिए तैयार हो गयी l महाराज जी कह रहे थे की अगर तुम यज्ञ में जाओगी तो तुम्हारा काफी अपमान होगा इसलिए तुम्हारा वहां पर जाना सही ही नहीं होगा और देवी सति ने महाराज दक्ष के वहां जाने का निश्चेय कर लिया और देवी सति ने महाराज दक्ष के वहां जाकर अपने प्राणों का परित्याग किया l लेकिन परित्याग करने से पहले देवी सति के मन में यह विचार था की जब भी मेरा दुबारा जन्म हो तो मेरा विवाह सिर्फ भगवान् शिव से ही हो अन्यथा किसी और से नहीं हो l
भगवान् शिव तप करने के लिए चले गए थे तथा दूसरी तरफ देवी सति का दुबारा से जन्म हुआ l देवी सति का जन्म पार्वती के रूप में भगवान् मेंना के यहां पर हुआ तथा देवी पार्वती सावन के महीने में कठोर तप करने के लिए जंगल में चली गयी थी इस कठोर तप से प्रसन्न होकर भगवान् शिव ने देवी पार्वती से विवाह किया तथा भगवान् शिव ने देवी पार्वती को पूर्ण रूप से अपना लिया था यही कारण है की भगवान् शिव को सावन का महीना बहुत अच्छा लगता है l
इसी कारण से सावन के महीने में मनुष्य भगवान् शिव को प्रसन्न करने के लिए शिव की पूजा किया करते है जिससे की उनकी सभी इच्छा की प्राप्ति पूर्ण रूप से हो सके l
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