प्रदूषण पर हिन्दी में निबंध
प्रस्तावना :
आज के तकनीकी तथा वैज्ञानिक युग में हर तरह से सुख सुविधा की वृद्धि हुई है तथा निरंतर बढ़ती हुई जनसंख्या के साथ वैज्ञानिक ढंग से सुख सुविधा में वृद्धि होती जा रही है, परंतु सुख सुविधा मिलने के साथ-साथ मानवता को पूर्ण रूप से खतरे में डाल दिया गया है। यह भी कहना गलत नहीं होगा कि आज के युग में विज्ञान तथा तकनीकी के द्वारा मनुष्य को मिलने वाली सुख सुविधा के साथ-साथ समस्याओं का भी सामना करना पड़ रहा है। प्रदूषण के कारकों की सहायता से मानवता के सामने विस्तृत रूप से होने वाली समस्याओं का वर्णन करते हैं।
प्रदूषण का अर्थ :
हम आपको सरल तरीके से समझाना चाहते हैं कि प्रदूषण किसे कहते हैं?
जल वायु तथा भूमि के रासायनिक और भौतिक गुणों से होने वाले अनचाहे परिवर्तन मानव तथा सभी प्रकार के जीव धारियों की दैनिक जीवन परिस्थितियां एवं हर प्रकार की प्रक्रियाओं के लिए हानिकारक है जिसे प्रदूषण कहा जाता है।
प्रदूषण के कारक तथा प्रदूषण के प्रकार :-
जल प्रदूषण :
संपूर्ण धरती पर मानवतावाद जीव जंतुओं के लिए शुद्ध जल बहुत ही महत्वपूर्ण है। शुद्ध जल के बिना जीवन यापन करना बहुत ही कठिन है, अगर शुद्ध जल किसी तरह से दूषित हो जाए तो किसी की भी जिंदगी भर बहुत बुरा प्रभाव पड़ जाता है। कारखानों से निकलने वाला दूषित जल नालों तथा छोटी बड़ी नालियों में बहता है, यही नालों का दूषित जल नदियों में बहा दिया जाता है। नदियों का शुद्ध जल दूषित जल में बदल जाता है जिसकी वजह से लोग बीमारियों के शिकार हो जाते हैं। चर्म रोग जैसी खतरनाक बीमारियां से ग्रस्त हो जाते हैं। नदियों में कारखानों द्वारा दूषित जल छोड़ने पर नदी में विषैले कीटाणु आ जाते हैं जिससे कि नदी का पानी इस्तेमाल करने योग्य नहीं होता। दूषित जल का प्रभाव जीव-जंतुओं पर भी पड़ता है। नदियों व छोटी बड़ी नालियों का दूषित जल पीने से जीव जंतुओं की जिंदगी खतरे में पड़ जाती है क्योंकि जीव जंतुओं को पीने योग्य पानी नहीं मिल पाता है। सभी प्रकार के जीव जंतु दूषित जल द्वारा अपनी प्यास बुझाते हैं जिससे की के शरीर में विषैले कीटाणु प्रवेश कर जाते हैं उनको धीरे-धीरे बीमारियां जकड़ लेती हैं तथा उनके ऊपर मृत्यु होने का खतरा भी बढ़ जाता है।
वायु प्रदूषण :
वायु में कुछ विषैली एवं हानिकारक कैसे मिलकर वायु को दूषित कर देती है जिसको वायु प्रदूषण कहां जाता है। वायु प्रदूषण में सबसे बड़ा कारण वनों की कटाई तथा वाहनों की संख्या का निरंतर बढ़ना व् इन वाहनों से निकलने वाला धुआं है। कारखानों तथा चिम्मियो से निकलने वाली विषैली गैसें तथा वाहनों के धुए से सल्फ्यूरिक एसिड न व् कार्बन डाइऑक्साइड के विषैले तत्व होते हैं जो हमारे वायुमंडल में फेल कर शुद्ध वायु को दूषित करते हैं। धरती पर जीवन का सबसे महत्वपूर्ण घटक वायु है जिसे ऑक्सीजन भी कहा जाता है, जब यही ऑक्सीजन दूषित हो जाए तो मानव तथा अन्य सभी जीव जंतुओं को सांस लेने में समस्या हो जाती है। वायु प्रदूषण द्वारा मानवता के स्वास्थ्य के लिए गहरा खतरा है। वायु प्रदूषण द्वारा अस्थमा जैसी बीमारियों को बढ़ाता है और उसे सांस लेने में परेशानी आ जाती है। फेफड़े तथा खांसी जैसी बीमारियों में वायु प्रदूषण का अहम योगदान है।
ध्वनि प्रदूषण :
आज के विज्ञानिक युग में मानवता के फायदे के लिए उठाए गए कदम नुकसानदायक सिद्ध हो रहे हैं। ध्वनि प्रदूषण से तात्पर्य यह है कि कार, ट्रेक्टर, कारखाने, डीजे साउंड आदि उपकरण, जिनकी ध्वनि की मात्रा कानों में बहुत तेज पढ़ने से ध्वनि प्रदूषण होता है जिसे ध्वनि प्रदूषण कहते है। जैसे कि हम जानते हैं कि आज के युग में टीवी, डीजे साउंड, पटाखे आदि की अधिक तेज आवाज से व्यक्ति की सुनने की क्षमता कम हो जाती है तथा भविष्य में हर उम्र के लोगों को किसी भी तरह की आवाज सुनने में काफी क्षति पहुंचती है, जिससे व्यक्ति को बहरापन आदि की समस्या हो जाती है। हम सभी जानते हैं कि आज के विज्ञानिक युग में इंटरनेट तथा मोबाइल फोन का चलन बहुत ज्यादा है। मोबाइल फोन हर आदमी की जरूरत बन गया है इसके बिना जीवन व्यतीत करना असंभव सा लगता है तथा इसका ध्वनि प्रदूषण में अहम योगदान भी है। मोबाइल फोन द्वारा मनुष्य अपने कानों में ईयर फोन लगाकर गानों तथा फिल्मों का आनंद उठाते हैं जो कि आज के युग में एक फैशन सा बन गया है। इस तरह से गाने सुनने से कानों में एक गंभीर बीमारी पैदा हो जाती है जिसको ठीक होने में काफी समय लग जाता है जोकि ध्वनि प्रदूषण का हिस्सा है इसलिए मनुष्य को सुनने की क्षमता से अधिक नहीं सुनना चाहिए।
भूमि प्रदूषण अथवा मृदा प्रदूषण :
भूमि प्रदूषण में वैज्ञानिक युग का बहुत बड़ा हाथ है। बढ़ती हुई जनसंख्या बेरोजगारी का बहुत बड़ा कारण है, किसान लोग अपने मुनाफे में बढ़ोतरी के लिए जल्दी-जल्दी फसलों की उपज को बड़ा करना चाहते हैं जिससे कि उन्हें बाजार में समय से पहले ज्यादा मुनाफा मिल सके। परंतु ऐसा करने से लोगों के सामने बहुत बड़ी समस्या पैदा हो जाती है। भूमि प्रदूषण से तात्पर्य यह है कि लोग समय से पहले उपज बढ़ाने के लिए रासायनिक पदार्थों का खाद्य सामग्री में उपयोग करते हैं। रासायनिक पदार्थ केमिकल द्वारा तैयार की जाती है लोगों द्वारा खाद्य सामग्री फसलों की उपज समय से पहले फसल तैयार तो हो जाती है परंतु यह सत्य है कि ऐसी फल सब्जियां जिनका रसायनिक पदार्थ द्वारा उपज में खाने योग्य बनाया गया है इससे स्वास्थ्य पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। गंभीर बीमारियों का शिकार होना पड़ता है, लोगों द्वारा रासायनिक पदार्थों का उपयोग बार-बार करने से भूमि की उर्वरा शक्ति भी कम हो जाती है।
प्रदूषण की समस्या का समाधान :-
आज के वैज्ञानिक युग में प्रदूषण की समस्या का समाधान बहुत जरूरी है। इस कठोर समस्या का समाधान समय पर नहीं निकाला गया था तो मनुष्य तथा जीव जंतु के लिए जीवन व्यतीत करना बहुत मुश्किल पड़ जाएगा। हम सभी जानते हैं कि औद्योगिकरण तथा निरंतर बढ़ती हुई जनसंख्या संपूर्ण विश्व के सामने प्रदूषण की समस्या पैदा की है। संपूर्ण विश्व में मुख्य रूप से चार ऐसे प्रदूषण है जैसे कि वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, मृदा प्रदूषण जिनकी वजह से संपूर्ण धरती पर हर किसी के सामने समस्या पैदा हो गई है।
प्रदूषण के समाधान के लिए कुछ अहम उपाय :
- पर्यावरण में पेड़ पौधों का होना बहुत जरूरी है। पेड़ पौधों की वजह से ऑक्सीजन मिलती है इनकी कटाई को रोकना बहुत जरूरी है ताकि हमें सांस लेने में किसी तरह की समस्या ना हो तथा पेड़ लगाने के लिए जागरूकता फैलानी चाहिए।
- वातावरण को प्रदूषण मुक्त करने के लिए जागरूकता फैलानी चाहिए ताकि प्रदूषण फैलाने से पहले हर कोई जागरूक हो सके।
- जिन कारणों से प्रदूषण होता है उनकी पूर्ण रूप से रोकथाम करनी चाहिए।
- अनपढ़ता भी बढ़ते हुए प्रदूषण का एक मुख्य कारण है। हमें उच्च स्तर पर शिक्षा को जागरूक करना चाहिए ताकि अनपढ़ता को जड़ से खत्म किया जा सके तथा प्रदूषण को रोकने के लिए यह बहुत बड़ा कदम सिद्ध होगा।
- फैक्ट्रियां तथा मशीन लगाने की अनुमति उन्हीं लोगों को दी जानी चाहिए जो औद्योगिक कचरे मशीनों के द्वारा प्रदूषण को बाहर निकालने की समुचित व्यवस्था कर सकें।
- औद्योगिकी की स्थापना गांवों तथा शहरों से काफी दूर होनी चाहिए ताकि लोगों पर इसका कम से कम प्रभाव पड़ सके तथा समय रहते हुए प्रदूषण पर कंट्रोल किया जा सके।
- वायु प्रदूषण से बचने के लिए हर प्रकार की गंदगी तथा कचरे को समाप्त करने के उपाय किए जाने चाहिए।
- कारखानों में ध्वनि मशीनों का उपयोग नहीं करना चाहिए ताकि मशीनों द्वारा किसी प्रकार की ध्वनि उत्पन्न न हो पाए।
- प्रदूषण फैलाने के खिलाफ कठोर से कठोर कानूनी नियम बनने चाहिए तथा नियमों के प्रति लोगों को जागरूक करना चाहिए, ताकि लोगों के अंदर प्रदूषण के प्रति डर बैठ सकें।
- डीजल तथा पेट्रोल से चलने वाले वाहनों को सीएनजी तथा इलेक्ट्रॉनिक वाहनों में बदल देना चाहिए ताकि प्रदूषण की मात्रा कम हो सके।
उपसंहार :
यह कह सकते हैं कि भारत सरकार प्रदूषण के प्रति जागरूक है। भारत सरकार ने 1974 ईस्वी में जल प्रदूषण निवारण अधिनियम लागू किया था। सरकार ने उद्योगों को लाइसेंस देने तथा वनों की कटाई रोकने के लिए कठोर नियम बनाए गए थे तथा न्यायालय द्वारा प्रदूषण पर खास नजर रखी जाती है। प्रदूषण के प्रति न्यायालय द्वारा निर्देशों का पालन करना भी अनिवार्य होता है। सरकार को सख्त से सख्त कदम उठाने के लिए निर्देश दिए जाते हैं जो कि उन निर्देशों का पालन करना भी अनिवार्य होता है।