यह साइट आपको एक विशेष जानकारी से अवगत करा रही है, जानिए.. बकरा ईद क्यों मनाई जाती है तथा इस दिन क़ुरबानी क्यों दी जाती हैं?
बकरा ईद को ईद-उल-अज़हा भी कहा जाता हैं l यह ईद मीठी ईद के दो महीने के बाद आती है, इस त्यौहार को इस्लाम धर्म में पवित्र त्यौहार माना जाता हैं l ईद ईद-उल-अज़हा क़ुरबानी का एक हिस्सा है परन्तु यह भी सच है कि पूरी दुनिया के मुस्लमान हज नहीं करते हैं, लेकिन हाजियों की तरह ही वे पूरी दुनिया से ही जुड़ जाते हैं l ईद-उल-अज़हा के मोके पर क़ुरबानी का दिन भी होता है l इस्लाम धर्म में ईद-उल-अज़हा के लिए अपनी हैसियत के हिसाब से बकरे को पाला जाता हैं जब वो बड़ा हो जाता है तो उसको अल्लाह के लिए बकरा ईद के दिन कुर्बान किया जाता हैं, परन्तु यह भी सच हैं कि इस्लाम धर्म में हर कोई बकरा नहीं पाल सकता, लेकिन ऐसे लोग बाहर से खरीद कर अल्लाह के लिए कुर्बान करते हैं
जानिए.. इस दिन क़ुरबानी क्यों दी जाती हैं :
इसके पीछे एक सच्ची कहानी हैं यह हज़रत इब्राहिम के ऊपर है उनका एक बेटा था, जिसका नाम स्माइल था l हज़रत इब्राहिम को अल्लाह का बन्दा भी माना जाता हैं l इस्लाम के मुताबिक उसको अल्लाह का दर्जा भी प्राप्त था, कहते है कि हज़रत इब्राहिम को अल्लाह ने जनता की भलाई के लिए भेजा था l
एक दिन अल्लाह ने हज़रत इब्राहिम का इम्तहान लिया था l अल्लाह हज़रत इब्राहिम के सपने में आये, और अल्लाह ने उनसे कहा की तुम्हे अपनी सबसे प्यारी चीज की क़ुरबानी देनी होगी l हज़रत इब्राहिम ने जब यह सोचा की मरे पास सबसे प्यारी चीज कौन-सी है तो उनके दिमाक में अपने बेटे की क़ुरबानी देनी के अलावा और कुछ समझ नहीं आया, क्योकि उनकी सबसे प्यारी चीज ही उनका अपना बेटा था l वह बेटा जिसको प्राप्त करने के लिए अल्लाह से इब्बादत की थी तब जाकर लम्बे इंतज़ार के बाद हज़रत इब्राहिम को 80 साल की उम्र में बेटे की प्राप्ति हुई, हज़रत इब्राहिम ने अपने बेटे को अल्लाह के लिए कुर्बान करने का फैसला कर लिया था l हज़रत इब्राहिम ने अपने बेटे स्माइल की क़ुरबानी देते समय अपनी आँखों पर पट्टी बांध ली थी, क्योकि उनकी सबसे प्यारी चीज उनका बेटा था l अल्लाह के लिए कुर्बान करते समय उनके जज्बात क़ुरबानी में किसी तरह की रुकावट पैदा न करें l अल्लाह ने देखा की हज़रत इब्राहिम अपने बेटे पर छुरी चलने वाले है तभी अल्लाह ने अपने एक फ़रिश्ते को नीचे भेजा जब हज़रत इब्राहिम ने अपनी आँखों से पट्टी हटाई तो उसने देखा को बेदी पर कटा हुआ उनका बेटा स्माइल नहीं एक दुम्बा कटा हुआ था, जो की यह जानवर भेड़ जैसा दिखाई देता है उसी समय से इस्लाम धर्म के इस पवित्र त्यौहार पर क़ुरबानी की यह परम्परा चली आ रही हैं